मैं बहुत रोया था
अन्दर ही अन्दर 
अब तो चेहरा भी लगा
था रोने
जमाने के काइयेंपन से
मैं था हारा 
वह आए थे, थपथपाया था
कंधा
 किए थे वादा आने का पर आए नहीं
 मैं करता रहा इंतजार हफ्तों, महीनों, साल
 मैं अंदर से बिखर रहा था, टूट रहा था
 पर मुझे उनके वादे से थी थोड़ी आस 
वह आएंगे वादा
निभाएंगे,पर आए नहीं 
उनका कोई संदेश भी
नहीं आया 
कि वह क्यों आए नहीं,
 वादा तो निभाया नहीं
 पर कभी आकर बताया भी नहीं
 जो वादा किया, वादा निभाया क्यों नहीं
 फिर मैंने उन्हें देखा, जो बाहर से टूटे थे
 फिर भी बढ़ रहे थे, बिना पैर के,
 तो कोई बिना हाथ के
मैंने फिर फैसला किया,
बगैर उनका इंतजार किए
 मैं आगे बढूंगा, अपनी तमाम कमजोरियों
 पीड़ाओं,जख्मों,अपने अंदर की सीलन, टूटन
 और बिखराव के साथ बढूंगा आगे
 और फिर लड़खड़ाते ही सही बढ़ाएं कदम
 पर दिल नहीं माना कई बार रुका
 पीछे मुड़कर देखा एक बार नहीं कई बार
शायद वो आते हो
उन्होंने किया था वादा 
पर वे मेरे बार-बार मुड़ने
पर भी नहीं दिखे
मैं फिर हुआ दुखी और
अंदर अंदर कुछ टूटा
मेरे साथ वाले आगे
निकल गए मुझसे बहुत आगे
 मैं, फिर खुद से किया वादा कि मैं
 कभी नहीं देखूंगा पीछे मुड़कर और न रुकूँगा
 वादे के मुताबिक मैं बढ़ता रहा
आज मेरे साथ चल अगल-बगल चल रहा है हुजूम
सुनता हूँ पीछे भी है
एक हुजूम 
कई बार एक हल्की आवाज़
भीड़ से आई है मेरे
नाम की  
कुछ–कुछ उनके जैसी 
जिन्होंने किया था
मुझसे वादा 
जिनका मैंने किया था
सालों-साल इंतज़ार 
कई बार देखा था पीछे
मुड़कर 
पर अब मैं वादा नहीं
तोड़ सकता 
खुद से किया वादा
निभाने का है नतीजा 
 आज हुजूम है मेरे साथ 
फिर मैं वो वादा कैसे
तोड़ दूं
 जिसने जमाने में जीने का हुनर दिया
 मैं नहीं तोड़ूंगा अपना वादा
 कोई तोड़े तो तोड़े
 मैं निभाऊंगा अपना वादा
 

 
 
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