पाहुन आओ अवध पुरी
मम ग्राम में
राम विराजें सीता संग जिस
धाम में
त्रिविध ताप को हरने वाले
सब गुण हैं जिस नाम में
पाहुन आओ अवध पुरी मम ग्राम
में
जहाँ कभी न युद्ध
हुआ है
मन सरयू सा शुद्ध हुआ है
जहाँ लोग मर्यादित होते
जग बसता जिस राम
में
पाहुन आओ अवध पुरी मम ग्राम
में
बजरंगी जिस गढ़ी
बसे हैं
मंदिर – मंदिर राम रचे
हैं
जिस नगरी के सुर गुण गायें
मंत्र उठें हर याम में
पाहुन आओ अवध पुरी मम ग्राम
में
जन जन का मन हरस रहा है
प्रेम अवध में
बरस रहा है
कुछ दिन तो आनंद
उठाओ
हमरे राम के धाम में
पाहुन आओ अवध पुरी मम ग्राम
में
पवन तिवारी
०९/१२/२०२४
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