जब सब तुमसे भाग रहे हैं,
सब तुमको अनसुना हैं करते,
हाथ जोड़ कर जो मिलते थे;
देख के वे अनजान हैं बनते!
नम्बर जो पहले मांगे थे,
वे न उठाते फोन तुम्हारे!
समय ने थोड़ा क्या मुँह फेरा,
बदल गये हैं सारे प्यारे;
समय नहीं इक जैसा रहता
अदला बदली चलती रहती!
कुछ भी स्थिर नहीं रहा है,
रिश्ते भी दिन रात के जैसे!
एक नहीं बदले हैं केवल
ध्यान दिया क्या देव
तुम्हारे!
उनसे कह दो, वे सब सुनते;
कभी न वे उपहास उड़ाते!
जब भी जाओगे तुम मिलने
वहीं मिलेंगे, जहाँ मिले थे.
सदा सुने थे, सदा सुनेंगे,
बस उनसे स्थाई नाता!
शेष है जो भी कुछ माया है,
इतना समझ लिया भी जिसने
फिर तो दुःख भी गाया है.
पवन तिवारी
१२/१२/२०२४
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