कितने दिन पर गीत लिखा हूँ
जाने किसको मीत लिखा हूँ
कुछ मीठा सा लिखना था पर
जाने क्यों मैं तीत लिखा हूँ
गर्मीं में भी शीत लिखा हूँ
कैसी उल्टी रीत लिखा हूँ
जीवन भर अक्सर हारा हूँ
पर गीतों में जीत लिखा हूँ
झुके हुओं को भीत लिखा हूँ
अनजानों को हीत लिखा हूँ
कवि अलबेले फक्कड़ होते
कड़वों को भी प्रीत लिखा हूँ
पवन तिवारी ०६/०९/२०२४
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें