यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 26 सितंबर 2024

अर्थ



बने हुओं को तोड़ रहा है

टूटों  के  ये  जोड़  रहा है

सबको ही आकर्षित करता

मुड़े हुओं को मोड़ रहा है

 

रिश्तों के तटबंध बनाये

गैरों   में    संबंध  बनाये

स्वाभिमान के शिखरों से भी

हँस करके अनुबंध बनाये

 

मित्रों में ये वैर करा दे

वैरी से मित्रता करा दे

जग के सबसे कठिन काम को

ये पहुँचे और यूँ करा दे

 

प्रेम कराये कलह कराये

रार  कराये  मार  कराये

इसकी जैसी जब मर्ज़ी हो

अपने मन की सदा कराये

 

जहाँ खड़ा हो वहीं नमस्ते

पैर छुएं सब हँसते - हँसते

अर्थ की महिमा सबसे न्यारी

साधू मंत्री  सभी हैं फँसते

 

पवन तिवारी

२७/०९/२०२४

 

 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें