यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 18 सितंबर 2024

जो आप से



जो आप से,

औपचारिक विनम्रता

ओढ़कर मिलता है !

और आप की

हर बात / आग्रह पर

मुस्करा कर

हाँ, हाँ, कहता है,

आप उससे उसी तरह

मुस्करा कर विदा हों !

और भुला दें !

यदि आप ने

उस पर किया विश्वास

या अपेक्षा तो

वह आप की

अपेक्षा के समय

सबसे पहले मुकरेगा !

और उसे झुँझलाकर

छल या धोखा कहोगे !

धोखा तो-

उसी क्षण हुआ होगा,

जिस क्षण आप ने

उस पर

विश्वास किया होगा !

 

पवन तिवारी

१६/०९/२०२४  

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