यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 11 सितंबर 2024

उपयोगी जितने रहे



उपयोगी जितने रहे

उतना   ही  सम्मान

बिन उपयोगी व्यक्ति को

सदा मिले अपमान

 

आवश्यकता भर बात है

उतना   ही  संबंध

संबंधों में आ गया

प्रभल भाव अनुबंध

 

आत्म प्रशंसा से भरा

व्यक्ति उपेक्षित होय

ऐसे  से  सब  ही बचें

मित्र  बने   ना  कोय

 

बड़बोले पन से बचें

बची   रहेगी   लाज

कम बोलेंगे काम भर

बनेंगे  बिगड़े  काज

 

पवन तिवारी

११/०९/२०२४   

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