यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 26 अगस्त 2024

बेटियाँ और पुलिस



आज कल जब

समाचार सुनता हूँ

बेटियों के साथ

दुराचार और हत्या!

तब मुझे अपनी बेटी की

छवि याद आती है ;

और रोम खड़े हो जाते हैं;

कलेजा मुँह को आने लगता है!

और फिर सुनता हूँ कि 

घटना के १२ घंटे बाद,

24 घंटे बाद, ४८ घण्टे, ७२ घंटे

और न जाने कितने दिन

पुलिस टालती है

केस दर्ज करने से

तो सोचता हूँ शायद

पुलिस वालों के पास

बेटियाँ नहीं होती! 

फिर सोचता हूँ

पुलिस वाले भी तो

बेटियों से ही जन्मते होंगे ?


पवन तिवारी

२६/०८/२०२४ 

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