यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 22 अगस्त 2024

हम कहीं भी रहेंगे तुम्हारे लिए



हम कहीं  भी रहेंगे तुम्हारे लिए

एक आवाज़ दोगी  चले आयेंगे

जैसे बंसी  बजे  गउयें आ जाती

वैसे ध्वनि पे तुम्हारे चले आयेंगे

 

तुमपे आसक्ति है तुमपे है आस्था

प्रेम  के  गीत  तुम्हरे  लिए  गायेंगे

यदि परखने में ही तुमको आनंद है

नाम गाकर  तो  देखो चले आयेंगे

 

प्रेम के  प्यासे सब, प्रेम में प्रभु बसें

प्रेम होगा जिधर  सब उधर जायेंगे

मेरी अनुरक्ति भी तुमसे वैसी ही है

सुनते ही स्वर तुम्हारा ये पग धायेंगे

 

पक्ष  अपना प्रिये,  मैंने रख है दिया

अब तुम्हें सोचना है कि क्या गायेंगे

तुम करो कल्पना प्रेम सावन की बस

देखोगी  तुम  अभी, प्रेम घन छायेंगे

 

पवन तिवारी

२२/०८/२०२४     

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