हम कहीं भी रहेंगे तुम्हारे लिए
एक आवाज़ दोगी चले आयेंगे
जैसे बंसी बजे गउयें
आ जाती
वैसे ध्वनि पे तुम्हारे चले
आयेंगे
तुमपे आसक्ति है तुमपे है
आस्था
प्रेम के गीत तुम्हरे लिए गायेंगे
यदि परखने में ही तुमको
आनंद है
नाम गाकर तो देखो
चले आयेंगे
प्रेम के प्यासे सब, प्रेम
में प्रभु बसें
प्रेम होगा जिधर सब उधर जायेंगे
मेरी अनुरक्ति भी तुमसे
वैसी ही है
सुनते ही स्वर तुम्हारा ये
पग धायेंगे
पक्ष अपना प्रिये, मैंने रख है दिया
अब तुम्हें सोचना है कि
क्या गायेंगे
तुम करो कल्पना प्रेम सावन
की बस
देखोगी तुम अभी, प्रेम घन छायेंगे
पवन तिवारी
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