यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 18 अगस्त 2024

चिट चिट करती आयी गिलहरी



चिट चिट करती आयी गिलहरी

चूं - चूं करती गौरैया,

गुटुर गुटुर कर बोले कबूतर

होके मगन देखे भइया !!

 

भोर - भोर में बांग दे मुर्गा

रम्भाये लोहिया गइया ,

तवे से उतरी पहली रोटी

गइया को देती मइया !!

 

सबसे पहले बाबू उठकर

द्वार बुहारने लगते हैं,

पर घर भर में सबसे पहले

दादा जी ही जगते हैं !!

 

जो रस्ते से आते जाते

करते अक्सर अभिवादन,

राम राम दादा जी कहकर

सुबह सुबह करते वंदन !!

 

सुबह सुबह का जीवन अपने

गाँव में ऐसा होता है,

हौले हौले गाँव का जीवन

हौले ही दिन चढ़ता है!!

 

पवन तिवारी

१२/१८/०८/२०२४  

 

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