यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 15 अगस्त 2024

नभ में जब तक रहे ध्रुव तारा



नभ में जब  तक  रहे  ध्रुव तारा

चमके भारत का भाग्य सितारा

शांति  का  दी प  धारे   हुए   है

जग  में   प्यारा   तिरंगा हमारा

देश   भारत   अनोखा   हमारा

 

जग में फैला है जब भाव खारा

लड़  रहे  लोग  कह के हमारा

ऐसे  में   एक   भारत ही  ऐसा

दुर्बलों  का  है   बनता  सहारा

देश   भारत   अनोखा  हमारा

 

ध्येय  भारत  का  है भाई चारा

विश्व  भर   में   बहे   प्रेम  धारा

हो अहिंसा का  सम्मान जग में

सब सुखी  हों यही अपना नारा

देश    भारत   अनोखा   हमारा

 

 हम प्रथम युद्ध करते नहीं हैं

किंतु  युद्धों  से  डरते नहीं हैं

जीत  कर  भी  हैं  लौटा दिए

भूमि किसकी भी हरते नहीं हैं

ऐसा  ही  आचरण  है हमारा

देश  भारत  अनोखा  हमारा

 

पवन तिवारी

१८/०८/२०२४

 

  

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर यशगान।
    वंदेमातरम्।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. ''...
    शांति का दीप धारे हुए है
    जग में प्यारा तिरंगा हमारा
    ...''

    यह पंक्ति इस पूरे रचना की आत्मा है। सरल, सहज, अप्रतिम रचना। शुभकामना।

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