नभ में जब तक रहे ध्रुव
तारा
चमके भारत का भाग्य सितारा
शांति का दी प धारे हुए है
जग में प्यारा तिरंगा हमारा
जग में फैला है जब भाव खारा
लड़ रहे लोग
कह के हमारा
ऐसे में एक भारत ही ऐसा
दुर्बलों का है बनता सहारा
देश भारत अनोखा हमारा
ध्येय भारत का है
भाई चारा
विश्व भर में बहे प्रेम धारा
हो अहिंसा का सम्मान जग में
सब सुखी हों यही अपना नारा
देश भारत अनोखा हमारा
किंतु युद्धों से डरते नहीं हैं
जीत कर भी हैं लौटा दिए
भूमि किसकी भी हरते नहीं
हैं
ऐसा ही आचरण
है हमारा
देश भारत अनोखा हमारा
पवन तिवारी
१८/०८/२०२४
बहुत सुंदर यशगान।
जवाब देंहटाएंवंदेमातरम्।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वन्देमातरम श्वेता जी, आभार
हटाएंस्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआप को भी शुभकामनाएं
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भारती जी
हटाएं''...
जवाब देंहटाएंशांति का दीप धारे हुए है
जग में प्यारा तिरंगा हमारा
...''
यह पंक्ति इस पूरे रचना की आत्मा है। सरल, सहज, अप्रतिम रचना। शुभकामना।
जय हिन्द, धन्यवाद
हटाएंजय भारत !
जवाब देंहटाएंजय हिन्द,आभार
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