यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 7 जून 2024

उदास झूठे लोग !


 

ये रात बड़ी उदास है !

इस परिवेश में

बड़ी उदासी है !

दिन नीरस सा

लग रहा है.

जब हम

ऐसा कहते हैं,

तो कितना बड़ा

भावनात्मक झूठ

बोल रहे होते हैं !

और लोग

मुँह लटकाकर वैसी ही

झूठी संवेदना

जताते है.

सत्य तो यह होता कि

उदास रात नहीं होती,

उदास होते हैं हम !

उदासी परिवेश में नहीं,

हमारे अंदर

पसरी होती है और

हम दिन को

नीरस बताकर

उसे अपनी हताशा में

कोस रहे होते हैं.

हम सच्चे वाले

झूठे लोग!


पवन तिवारी 

०७/०६/२०२४

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