यह वर्षा की रात है
रिमझिम - रिमझिम बात है
टिपटिप टिपटिप लाखों बूंदें
वर्षा की बरात है
चर्चा कई दिनों से थी
वर्षा नहीं दिनों से थी
उमस से सबकी जान फँसी थी
इसकी आस दिनों से
थी
अब जो बिजली चमक रही है
उसमें वर्षा दमक रही है
प्यासी मिटटी सोंधी सोंधी
स्वाद को चखकर गमक रही है
मौसम बड़ा सुहाना
हो गया
मन भी आना माना हो गया
जग भर को है राहत मिल गयी
हरियाली का आना हो गया
गर्म हवा अनुकूल हो गयी
बदली जैसे फूल हो गयी
सब आनंदित होकर देखे
गायब उड़ती धूल हो गयी
पहली वर्षा जब
भी आती
जीव जंतु सबको
है भाती
सब ही हंसकर स्वागत करते
ज्यों सबके स्वर वर्षा गाती
पवन तिवारी
१०/०६/२०२४
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें