यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 3 जून 2024

अति गर्मी की बात चली है




अति  गर्मी   की   बात  चली  है 

अति  वर्षा  भी बड़ी खली है 

कहीं-कहीं अकाल  की आफत 

जीवन की हर सांस में सांसत 

 

छल   की  इमारतें  ऊंची  हैं

सत्य की  झोपड़ियां  टूटी  हैं

शुद्ध  वायु  अवरुद्ध  हो गई

और   बुराई  बुद्ध   हो   गई

 

आज समय का दम घुटता है

पर्यावरण    रोज    लुटता  है

कालचक्र  भी  बिगड़ गया है

मौसम मन  से उखड़ गया है

 

किसका भी वि श्वास नहीं है

लोगों  में  अब  आस नहीं है

समय विकटता को बढ़ता है

सूरज   मनमानी   चढ़ता  है

 

पृथ्वी  भी  अकुलाई   सी  है

मानव   से   घबराई   सी  है

स्वारथ के चक्कर में मानव

कर्म से हो  गया पूरा दानव

 

अब निर्णय का समय आ गया

अब करने का समय आ गया

अब   भी   केवल  बात  करेंगे

तो   पक्का    है   सभी   मरेंगे

 

पवन तिवारी

०३/०६/२०२४

 


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