भईया हो चुनाव आया
सुना है नेता गाँव आया
वोट माँगने आया
होगा
वरना कैसे गाँव आया
पाँच साल में ही दिखता है
जगह-जगह दारू बिकता है
बच्चे तक बर्बाद हो रहे
समाचार भी यह लिखता है
कुछ क़ानून बने नेता पर
हो जवाबदेही बेटा पर
ये ही तो क़ानून बनाते
कौन धरे इनके टेटा
पर
गाँव की हालत बड़ी बुरी है
लोकतंत्र की भले धुरी है
सड़क न शिक्षा अस्पताल है
गाँव की फाइल तुड़ी-मुड़ी है
कहाँ गया कानून है
मँहगा हो गया नूँन
है
नोट में वोट है ऐसा उलझा
सस्ता हो गया खून
है
जब जब ये चुनाव है आता
हत्यारी सौगात है लाता
अपनों के ही अपने दुश्मन
और अंत में पछताता है
कोई तो ले इसकी
थाह
निकले इसकी कोई राह
वरना नहीं चुनाव
चाहिए
नहीं दुश्मनी की है चाह
पवन तिवारी
०२/०६/२०२४
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