यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 12 जून 2024

उर कहता है तुम पर



उर  कहता  है  तुम  पर   कोई  गीत  लिखूँ

शब्द कहें हैं ‘तुम’ की जगह मनमीत लिखूँ

शुरू - शुरू में  प्रेम ही सब लिखते हैं सुना

मैं  भी  क्यों  ना  शुरू - शुरू  में प्रीत लिखूँ

उर  कहता  है  तुम   पर  कोई  गीत  लिखूँ

 

और   दूसरे   गीतों   में   मैं   और   लिखूँ

समसामयिक  त्रासों  का  मैं  दौर  लिखूँ

रोजगार   की   आफ़त   भ्रष्टाचार  भी  है

क्यों  ना  पहले   पूरा   प्रेम   पुनीत लिखूँ

उर  कहता  है  तुम  पर कोई गीत लिखूँ

 

सोच  रहा  हूँ मैं  अकाल पर शोक लिखूँ

स्त्री  शोषण  पर  आवश्यक  रोक लिखूँ

दुःख  के  विषयों  का  है कोई अंत नहीं 

प्रेम  पे लिख लूँ उसमें भी मैं जीत लिखूँ

उर  कहता  है  तुम पर कोई गीत लिखूँ

 

शुरू  किया  हूँ  जो  वो पहले गीत लिखूँ

अपनी   परम्परा   अपनी   रीत  लिखूँ

लिखने  को  तो  पूरी  दुनिया लिख डालूँ

पर इस अंतिम पंक्ति में तुमको मीत लिखूँ

उर  कहता  है तुम पर  कोई  गीत लिखूँ

 

पवन तिवारी

१२/०६/२०२४

 

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