यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 7 मई 2024

धर्म कहाँ विचरण करता है



धर्म कहाँ विचरण करता है

वह  जीवन में क्या धरता है

दिखने   में  कैसा लगता है

वह मानव  में क्या भरता है

 

सत्य में ये  विचरण करता है

सदाचार   को  यह  धरता है

आनन पर  इक भास्वरता है

मात्र  ये   मानवता   भरता है

 

ठगता   जो  वो  धर्म   नहीं है

जिसका अच्छा  कर्म  नहीं है

जिसको  अंतः   ज्ञान  नहीं है

सत्य का जिसको भान नहीं है

 

ब्रह्मचर्य,   अस्तेय,    दान,  तप

शान्ति, अहिंसा, संयम का जप

जहाँ स्वच्छता  कण कण में हो

क्षमा  जहाँ प्रति प्रति क्षण में हो

 

यदि  मैं  कहूँ   तो  सदाचार  है

शेष   उलट   में   अनाचार   है

कलि  का  परिचय कदाचार है

यह सब  कलि  का नवाचार है

 

पवन तिवारी

०३/०५/२०२४     

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