धर्म कहाँ विचरण करता है
वह जीवन में क्या धरता है
दिखने में कैसा
लगता है
वह मानव में क्या भरता है
सत्य में ये विचरण करता है
सदाचार को यह धरता है
आनन पर इक भास्वरता है
मात्र ये मानवता भरता है
ठगता जो वो धर्म नहीं है
जिसका अच्छा कर्म नहीं
है
जिसको अंतः ज्ञान नहीं
है
सत्य का जिसको भान नहीं है
ब्रह्मचर्य, अस्तेय, दान, तप
शान्ति, अहिंसा, संयम का जप
जहाँ स्वच्छता कण कण में हो
क्षमा जहाँ प्रति प्रति क्षण
में हो
यदि मैं कहूँ तो सदाचार है
शेष उलट में अनाचार है
कलि का परिचय कदाचार है
यह सब कलि का नवाचार है
पवन तिवारी
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