यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

एक लेखक या कवि

 




एक लेखक या कवि

रोज थोड़ा-थोड़ा मरता है.

और भरता है थोड़ा थोड़ा जीवन

अपनी कहानी और कविता में !

वो साहित्य भरता है- समाज में,

मनुष्यता में थोड़ा - थोड़ा जीवन

एक दिन साहित्यकार थोड़ा - थोड़ा

मरते - मरते मर जाता है !

मर जाती है उसकी काया किंतु,

वह अपने साहित्य से

समाज में थोड़ा - थोड़ा

जीवित होते – होते पूरी तरह

जी उठता है और फिर वह

हमेशा के लिए न केवल

जीवित रहता है बल्कि

रहता है सदा प्रसन्न और जीवंत

और कहाता है महान,

बिना किसी काया के !


पवन तिवारी

३०/०१/२०२४     

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