तोड़ कर अवरोध
सारे
तुम मुझे अधिकार दे दो
कर सकूँ संवाद उर का
थोड़ा सा तुम प्यार दे दो
मुस्कुराएँ अधर कह दो
छोड़कर सारी व्यथाएं
त्रास सारा हर ही लूँगा
पग तो मेरी और आएं
प्रेम का उपहास करना
जग का पहला आचरण है
निम्न क्या समझेंगे इसको
उच्च इसका व्याकरण है
लोक में यह ही परम है
इससे आगे कुछ नहीं है
इससे आगे परम ईश्वर
इससे आगे
कुछ नहीं
पवन तिवारी
०६/०२/२०२४
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें