यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 23 जनवरी 2024

चलो आज ऐसा किया जाये




चलो  आज   ऐसा   किया  जाये

ज़िन्दगी को फिर से जिया जाये

छल मिले, दुःख मिले हाय रोये भी थे

घोलकर इनको रस सा पिया जाये

ज़िन्दगी को फिर से जिया जाये

 

 

क्या से क्या हो गया देखते देखते

क्या से क्या हम हुए देखते देखते

लोग  गिरगिट हुए देखते – देखते

छोड़  ये  दृश्य  आगे   बढ़ा  जाये

ज़िन्दगी को  फिर से जिया जाये

 

 

कुछ नये लोग जोड़ें नयी राह लें

आस की टोकरी में नयी चाह लें

फिर से हम ज़िन्दगी की नयी थाह लें

कुछ नये अनुभवों से मिला जाये

ज़िन्दगी को फिर से जिया जाये


 

कैसे किसको बिगाड़ा नये तौर ने

कैसे बदला लिया अन्न के कौर ने

भूख  से  भी  मरे  इस नये दौर में

सोचो   कैसे    इसे   बदला   जाये

ज़िन्दगी को  फिर  से जिया जाये

 

पवन तिवारी

१९/०१/२०२४   

 

 

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