हमरे दिल के कचहरी में आ जइता हो
हमरे में धीरे – धीरे
समा जइता हो
तू भटकला दुआरे – दुआरे जिया
तू भटकला किनारे - किनारे जिया
ऊब के तून भटकला इनारे जिया
अब न भटका तू कउनो पियारे जिया
तोहरे नेहिया के नद्दी के हम समझी हो
हमारो प्यासल पिरितिया बुझा जइता हो
हमरे दिल के कचहरी में आ जइता हो
तोंहसे धोखा भइल हमसे धोखा भइल
नेह के राहि में सगरो
काँटा भइल
मनवा रोवै कहै कहो
ई का भइल
सोच सुंदर रहै पर ई जुलुमैं भइल
हम तुहै भायी तू हमका
भा जइता हो
हमरे दिल के कचहरी में आ जइता हो
तू न लड़ि पइबा जालिम जमनवाँ से हो
आवा मिलि के लड़ल जा जहनवाँ से हो
आवा खुलि के मिला ना समनवाँ से हो
शायद जोड़ी लिखल आसमानवाँ से हो
हमसे मिलि के जमनवा पे छा जाता हो
हमरे दिल के कचहरी में
आ जइता हो
पवन तिवारी
सम्पर्क- ७७१८०८०९७८
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