ये भरोसा आस्था कैसे बनेगा
तुम शची सा पुण्यवत कोई बंध
दोगे
प्रेम कुछ दुष्यंत जैसे भी हुए हैं
तुम भी क्या वैसा कोई
प्रबंध दोगे
याकि नाते के किसी नेपथ्य
में तुम
जगत को दीखता सहज अनुबंध
दोगे
साथ में मेरे जो ये तुम कर रहे हो
इसका क्या कुछ नाम या संबंध
दोगे
यह प्रणय का
पथ रहेगा उत्तरोत्तर
या कि पथ में दुःख के रिसते
रंध्र दोगे
आत्मा का प्रिय
सदन ये ही बदन है
इतना सा क्या इस बदन की गंध
दोगे
पवन तिवारी
०७/०७/२०२३
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