यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 3 दिसंबर 2023

जंगल में मानव आया है



जंगल में मानव आया है

देख के जंगल घबराया है

पहले देख के खुश होता था

अब जैसे दुश्मन आया है

 

पूछा  मोनू  ने चाचा से

जंगल  क्यों  घबराया है

चाचा  बोले  मोनू  बेटा

मानव जंगल को खाया है

 

आदम  खोर भेड़िये  होते

मानव जंगल खोर हो गया

और सरल  भाषा में बोलूँ

मानव जंगल चोर हो गया

 

जंगल से जीवन बनता है

प्राणवायु तन मन बनता है

मानव केवल स्वार्थ देखता

मानव पर्वत तक खनता है

 

पवन तिवारी

३/१२/२०२३

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