मैं गीत पवन का प्यारा सा
सुनाकर
दिल में तेरे गुलाब सा
दूंगा प्यार भर
उन्हें सुन के कितने आशिकों
की बात बनी है
तू जायेगी संवर सुन लेगी आज
गर
तू मिले तो जीवन से निकल
जाए डर
बरसों तक भटका हूँ बस ही जाए
घर
अधरों को तीरथ भी मिल जाएगा
मिल भी जाए गर तेरे माथे का
दर
सब कुछ है निछावर मेरा तो
तुझ पर
बस चाहता हूँ मैं तू ले
मुझको वर
फिर कोई दुःख नहीं चिंता
नहीं कोई
आसान हो जाये जीवन की सब
डगर
तेरी प्रतीक्षा में ही हूँ
मैं तर – बतर
कानों में भटकती है हवा सरर
सर्र
हाँ, सुनने को कब से है तरस रहा दिल
जीवन का मधुर मास जाये न
कहीं झर
पवन तिवारी
०३/०१/२०२३
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