छल है घृणित अस्त्र जीवन
में
अपनों से बहुधा मिलता
है
उनसे जो क्षति हिय की होती
उसको अन्य कोई सिलता
है
अल्प अवधि के लिए मिले दुःख
तो दुःख से जीवन खिलता है
दाग अगर मन पर अंकित हो
ऐसे में धीमे धुलता है
चित्र हैं बहुरंगी
जीवन के
रंग किन्तु
कोई फलता है
पर कुछ रंग
उभरते ऐसे
जिनसे जीवन भी
जलता है
जलता बुझाता जैसे
दीपक
ऐसे कुछ जीवन पलता है
नहीं समझ पाता जो ये सब
जीवन में वो हाथ
मलता है
जीवन तो सबसे अनुपम है
इसीलिये ये मृत्यु को खलता
इसको पाने के
प्रयास में
यम जीवन भर पीछे चलता
पवन तिवारी
२३/११/२०२२