यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

माया से यह मन खंडित है



माया  से  यह  मन खंडित है

अहंकार  में   बस  पंडित  है

मिल जाये आशीष आप का

समझूँगा   जीवन  मंडित है

 

प्रभु कीर्ति आप की जातरूप

मिल जाये  मृदुवत ज्ञान कूप

इक क्षण की कृपा दृष्टि होवे

हेमंत भी दे ऋतुपति सा धूप

 

जग के छल  से  मन  आहत है

सो मन को आप  की साहत है

सब मृग मरीचिका भटक लिया

प्रभु  आप  शरण  में  राहत  है

 

दीन दुखी के  परम वरद हो

आप निरंतर प्रभु अनहद हो

मिल जाये आशीष आप का

उसका निश्चित विमल विरद हो

 

आप  प्रभु  पावन विशाल वट

हम डाली के अधम से मरकट

अनुकम्पा  प्रभु  आप करें तो

मिल जाये जीवन का सदतट

 

पवन तिवारी

०२/०९/२०२२

 

  

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