यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

मात्र चर्चा से ही



मात्र  चर्चा  से  ही  सिद्ध   होता   नहीं

बात से  कुछ   नहीं   धर्म  धारण  करो

लोग  आदर  करेंगें   बिना   कुछ   कहे

जो  समस्याएं  उनका   निवारण  करो

 

प्रश्न  करने  का  अधिकार  छीनों  नहीं

जो  भी करना  हो उदात्त कारण  करो

कुछ  उजाड़ो  नहीं  कष्ट किसको न दो

हो सके जितना जन मन का तारण करो

 

सुख अलौकिक की अभिलाषा है यदि तुम्हें

लोगों  के  कष्ट  का  सहज  पारण  करो

दोनों  लोकों  में  ही  ठाट  तुम्हरी  रहे

कोई  माँगन  को  आये   वारण करो

 

पवन तिवारी

२२/०६/२०२२  

 

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