मैं
जानता हूँ, तुम मुझसे
बात
करना चाहती हो
पास
तो हो किन्तु,
निकट
आना चाहती हो !
हा,
तुम्हारी झिझक का
आभास है इसलिए ,
मोबाइल
नम्बर लिख दिया था;
तुम्हारे
सिरहाने
एक
कागज हृदय पर!
किन्तु
तुम्हारा नहीं आया,
जिस
दिन तुम
साहस
कर पाओगी
उस
दिन मैं पास नहीं
बहुत
दूर निकल गया होऊँगा
तब
तुम्हारा फोन तो आ जाएगा
पर
मैं लौट नहीं पाऊँगा!
मेरी
चिट्ठी मेरा अंतिम प्रयास!
अगर
समझ सको तो,
हम
साथ में दुनिया को समझेंगे !
तुम्हारा-
“हम का मैं”
पवन
तिवारी
२२/०२/२०२२
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