यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 16 जुलाई 2022

मैं जानता हूँ, तुम....

मैं जानता हूँ, तुम मुझसे

बात करना चाहती हो

पास तो हो किन्तु,

निकट आना चाहती हो !

हा, तुम्हारी झिझक का

आभास  है इसलिए ,

मोबाइल नम्बर लिख दिया था;

तुम्हारे सिरहाने

एक कागज हृदय पर!

किन्तु तुम्हारा नहीं आया,

जिस दिन तुम

साहस कर पाओगी

उस दिन मैं पास नहीं

बहुत दूर निकल गया होऊँगा

तब तुम्हारा फोन तो आ जाएगा

पर मैं लौट नहीं पाऊँगा!

मेरी चिट्ठी मेरा अंतिम प्रयास!

अगर समझ सको तो,

हम साथ में दुनिया को समझेंगे !

तुम्हारा- “हम का मैं”



पवन तिवारी

२२/०२/२०२२ 

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