यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 13 जुलाई 2022

दुःख में जो साथ छोड़ जाते हैं

दुःख  में  जो  साथ  छोड़  जाते हैं

छल   से   सम्बंध   तोड़  जाते  हैं

ऐसे   सहचर   सुखी  नहीं   रहते

साथी  से  मुँह  जो  मोड़  जाते हैं

 

जो  तुम्हें   प्रेम  करते   जाता  है

तुमको ही दिल में भरते जाता है

पाप  है  तोड़ना  तो  उर उसका

तुम पे  जो  रोज  मरते  जाता है

 

बस  तुम्हें  देखे   स्वप्न  में  भी जो

जिसकी आँखों में हर घड़ी तुम हो

उसको  ठगकर  ठगे  ही  जाओगे

गैरों  में   भी  तलाशोगे   उसको

 

लूटने  वाला   लुटेगा  इक   दिन

कह न पायेगा घुटेगा छिन-छिन

सच्चे   साथी  को  लूटता  जो  है

एक दिन आती उसे ख़ुद से घिन

 

 

हाथ पकड़ा  तो  छोड़ मत देना

स्वार्थ में पड़ के  हाथ मत लेना

दर्द  दिल   से   बड़ा  नहीं कोई

प्रेम  की  नइया  पार  तक खेना

 

पवन तिवारी

१७/१२/२०२१  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें