करते
हुए रुदन दुर्गा
को, मैंने देखा पहली
बार
शक्ति
को उदास देखा था, मैंने जग में पहली बार
जो
जग को पौरुष देती,जिससे सब वरदान
माँगते
पति
के जाने पर उसे देखा, शक्तिहीन सा पहली बार
प्रेम
का खोना जग का खोना ऐसा देखा पहली बार
जो समर्थ
हैं, प्रेम में रोते, उनको देखा पहली बार
जो
विशेष हैं ,साधारण उन्हें, कर देता है प्रेम सहज
देवी
को भी प्रेम चाहिए, ऐसा देखा पहली बार
सुना
सती का शव लेकर के,शिव भटके थे पहली बार
सती
प्रेम में शिव रोये थे, जग रोया था, पहली
बार
प्रेम
एक जो सबको चाहिए, मनुज रहे या देव
रहे
राम
भी रोये हा सीता कह, जग जाना था पहली बार
पवन
तिवारी
२७/०२/२०२२
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