यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 17 जुलाई 2022

करते हुए रुदन

करते  हुए  रुदन  दुर्गा  को,  मैंने  देखा  पहली  बार

शक्ति को उदास  देखा  था, मैंने  जग में पहली  बार

जो जग को पौरुष  देती,जिससे  सब  वरदान माँगते

पति के जाने पर उसे देखा, शक्तिहीन सा पहली बार

 

प्रेम का खोना जग का खोना ऐसा देखा पहली बार

जो समर्थ हैं, प्रेम में रोते, उनको  देखा  पहली बार

जो विशेष हैं ,साधारण उन्हें, कर देता है प्रेम सहज

देवी को भी प्रेम  चाहिए, ऐसा  देखा  पहली  बार

 

सुना सती का शव लेकर के,शिव भटके थे पहली बार

सती प्रेम में शिव रोये  थे, जग रोया था, पहली बार

प्रेम एक जो सबको चाहिए, मनुज  रहे  या  देव रहे

राम भी रोये हा सीता कह, जग जाना था पहली बार

 

पवन तिवारी

२७/०२/२०२२   

 

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