अभिलषित
मन कहे उनसे
संवाद हो
बो
बता कर मिलें या अचानक मिलें
वर्षों
से लिखने की चाह
लेकर फिरूँ
हिय
है जो चाहता वो कथानक मिलें
भीगना चाहता मेरा अंतःकरण
गंगा
गोदावरी सा तो पानी मिले
राजा
रानी की किस्से बहुत सुन चुके
निर्धनों
के भी हिस्से में रानी मिले
हर कोई आजमाना मुझे चाहता
मुझको
विश्वास का एक स्वाक्षर मिले
उसको
ही खोजने को भटक
हूँ रहा
प्रेम
का कम से कम एक अक्षर मिले
पवन
तिवारी
०४/०२/२०२२
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