सुनो
ज़रा तुम प्रश्न - प्रश्न जो करते हो
तुम
भारत के उत्तर से क्यों डरते हो
गली
गली में प्रमदा पर मरने वालों
भारत
पर बोलो तुम कितना मरते हो
वेश
बदल कर देश में घूमा करते थे
अंगारों
के पथ को चूमा करते थे
धूप
ज़रा ख़ा करके तुम गश खाते हो
कोड़े
खाकर भी हम झूमा करते थे
अंग्रेजों
का साहस खूना करते थे
भूखे
रहकर भी ध्वनि दूना करते थे
कारागृह
भी इन्कलाब से पूरित था
राष्ट्र
के पथ पर वांछा भूना करते थे
तुमको
क्या आज़ादी के त्योहारों से
साथ
हुए उनके जघन्य व्यवहारों से
तुमको
छप्पन भोग पड़ा है तुमको क्या
तुम
क्या जानों कंकड़ के आहारों को
प्राणों
की आहुति देकर यह देश मिला
है
मुश्किल
से यह स्वतंत्रता का फूल खिला है
सहज
मिल गया तुमको तो तुम क्या जानो
इसीलिये
इतने सुख से भी तुम्हें गिला है
पवन
तिवारी
२४/०४/२०२२
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