यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

बहुत अकेला हूँ



बहुत अकेला  हूँ 

पर एकांत नहीं है

मौन हूँ लेकिन

मन शांत नहीं है

नैतिक बहुत से लोग

तो बातों से मिले हैं

मिलने लगा तो जाना

सिद्धांत नहीं है

ऐसे में जो भटकेगा

भला तुम ही बताओ

कैसे कहेंगे जीवन में

क्लांत नहीं है

 

पवन तिवारी

२१/०४/२०२२

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