पीड़ाएं
हैं हर्ष से
ज्यादा
पग
पग में है सच संग बाधा
अन्य
से भय की बात नहीं है
अपने
ही करते बल
आधा
जो -
जो अपनों पर वारे हैं
अपनों
के कारण हारे
हैं
अपनों
को हम अधिक खटकते
और नैन के सब तारे
हैं
इसी
तरह अनुराग जला है
रिक्त
जगह पर द्वेष पला है
बिखर
गए संबंध मधुरता
स्वारथ
की यह कलुष कला है
मैं,
मेरा का शोर मचा हैं
केवल
एक विकल्प बचा है
निज
पौरुष विवेक से निर्णय
किया,चला
इतिहास रचा है
और नहीं मुझको कहना
है
आगे
अब तुमको करना
है
उपर्युक्त
पर अमल करोगे
या
फिर अभी और सहना है
पवन
तिवारी
१९/०४/२०२२
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