चेहरे
पे चेहरा है, राज अधिक गहरा है
सच
से मिलें कैसे, झूठ का जो पहरा
है
रिश्तों
में धूप है, छल का
सुघड़ रूप है
मानवता
फँस ही जाती गहरा बड़ा कूप है
प्रेम
मेरा सच्चा है, यही वाक्य बच्चा है
धूर्त
इसके पीछे हैं, मत मानो अच्छा है
चुप
नहीं रहना है , अधिक नहीं कहना है
अत्याचार
सीमा से, अधिक नहीं सहना है
नैतिकता
गहना है, किन्तु नहीं दहना
है
जीवन
में कुछ भी हो, सोच समझ कहना है
पवन
तिवारी
२५/०३/२०२२
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