जाने
कितने ही दिन दर्द सहे
प्यार
वाले भी बिन प्यार के रहे
प्यार
वाला मामला तो निजता का है
चाह
के भी
कौन
बोलो किससे कहे
सावन
सोचो यदि
सूखा
पड़
जाय
जीना
चाहे तो भी कोई जिया नहीं जाय
ऐसे
वसंत
का कौन
मनुहार
फूल
ना खिले जिसमें आम
बौराय
स्वार्थ
सारे रिश्तों
को
खाता हाय
बछड़े
को देख के ना गाय रम्भाय
मन
ही खराब हो तो कुछ ना सुहाय
जिह्वा
को कड़वी जी लागे मीठी चाय
प्यार
में
भी
घन की है घुसपैठ
जी
प्यार
में धनिक
दिखावे ऐंठ जी
छोड़
के मनुजता
को आगे खड़ा धन
देख
के हालात मन जाता
बैठ जी
पवन
तिवारी
३/०३/२०२२
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