यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

तुम अकस्मात आये थे

तुम   अकस्मात  आये  थे   धीरे  से  हम

तुम थे खुशियाँ  बटोरे  मिले हमको गम

तुममें गति थी चपलता थी चालाकी भी

इसलिए ज़िन्दगी  हो गयी कुछ थी कम

 

यश तो  पाये  मगर  अल्पकालिक रहा

तुम्हरे मन ने भी अपमान कितना सहा

आज  पसरी  है  मुस्कान   फीकी  तभी

मुझको  संतोष  है  सत्य  को  जो  गहा

 

राह लम्बी  मगर सच्ची  अच्छी  चुनो

जो भी करना है  करने से  पहले गुनो

जल्दबाजी व लालच भ्रमित करती है

झूठ  बोले  बहुत   सच  की  पर सुनो

 

पवन तिवारी

२१/११/२०२१

 

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