जब
से देखा है  छाये  हुए हिय पे हो 
क्या
कहें ज्यादा बस हम तुम्हारे हुए 
जैसे
 अंतस  है  संकोच  से  कह
रहा 
हम
तो जन्मों से हैं  तुम पे हारे हुए 
क्या
कहें ज्यादा बस हम तुम्हारे हुए 
पहली
 दृष्टि  में   प्रेम
 ऐसा  गज़ब 
हर
तरफ मुझमें तुम ही सितारे हुए 
रह
गये हम  कुँआरे ये  अच्छा रहा 
हर्ष
 के  कितने  अरमान  नारे हुए
क्या
कहें ज्यादा बस हम तुम्हारे हुए 
तुमसे
मिलने की अभिलाषा लेके फिरें 
एक   इस   फेर  में
  प्रेम 
 मारे  हुए
तुमसे
मिलने की ख़ातिर भटकते रहे 
धूप
 की 
 मार  से  कारे
– कारे  हुए 
क्या
कहें ज्यादा बस हम तुम्हारे हुए 
है
तड़प पर गज़ब  इसमें भी है मज़ा 
रूप
 तुम्हरा  ही  मन  में हैं धारे हुए 
प्रेम
का स्वाद आला है  आया समझ 
निज
 की  दृष्टि  में ही चाँद तारे हुए 
क्या
कहें ज्यादा बस हम तुम्हारे हुए
 
पवन
तिवारी 
२८/०४/२०२२
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें