नाव
अपने ही ढंग से खेना तुम
जिससे
है प्यार ध्यान देना तुम
तुमसे
ज्यादा नहीं अपेक्षा बस
फोन
पर हाल चाल लेना तुम
प्यार
थे और कल
रहोगे तुम
मुझको
बस मित्र ही कहोगे तुम
ये भी संबंध
कम नहीं तुमसे
इतने
से भी बहुत
सहोगे तुम
ख़्वाब
में भी कभी
आना तुम
हाँ,
मगर दूर भी न जाना तुम
तुम
मुझे जानते हो ये भी बहुत
है
दुआ चाहो जिसे पाना तुम
हो
क्या मेरे लिए न जानो तुम
तुम
मुझे मानो या ना मानो तुम
तुम
अपने पथ पे हँस के बढ़ते रहो
हो
वो पूरा कि जिसे ठानो तुम
पवन
तिवारी
२३/१२/२०२१
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