हिय
का हिस्सा कुछ टूटा है
जैसे जीवन
कुछ छूटा है
जब
से संवाद
यंत्र चोरी
लागे सब
रूठा - रूठा है
जैसे
मुझको
कोई लूटा है
अंतस
कुछ
ऐसे फूटा है
रह
रह कर हूक सी उठती है
हर कोई छलिया
झूठा है
जैसे
वर्षों से मन उदास
कोई
भी नहीं है आसपास
जैसे
कुछ भी ना बचा पास
भोजन
तक भी ना आये रास
ये
मौसम कुछ दिन रहना है
इसे
शांत चित्त हो सहना है
जब
तक वसंत लौटता नहीं
जीवन संग
धीरे बहना है
पवन
तिवारी
३०/०९/२०२१
(२९ सितम्बर २०२१ को मोबाईल चोरी होने पर लिखी
गयी रचना )
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