यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 जून 2022

हिय का हिस्सा कुछ टूटा है

हिय का हिस्सा कुछ टूटा है

जैसे  जीवन  कुछ  छूटा  है

जब से  संवाद  यंत्र  चोरी

लागे  सब  रूठा - रूठा है

 

जैसे  मुझको   कोई  लूटा  है

अंतस   कुछ   ऐसे   फूटा  है

रह रह कर हूक सी उठती है

हर  कोई  छलिया  झूठा  है

 

जैसे   वर्षों   से   मन  उदास

कोई भी  नहीं  है  आसपास

जैसे कुछ भी ना  बचा पास

भोजन तक भी ना आये रास

 

ये मौसम कुछ दिन रहना है

इसे शांत चित्त हो सहना है

जब तक वसंत लौटता नहीं

जीवन  संग  धीरे  बहना है

 

 

पवन तिवारी

३०/०९/२०२१

 (२९ सितम्बर २०२१ को मोबाईल चोरी होने पर लिखी गयी रचना ) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें