दर्द सीने में हैं हम दबाये
हुए
कुछ
जलाये हुये कुछ बुझाये हुए
चल
दिये हँस के हम से दगा करके वो
फिर
भी क्यूँ जाने दिल में समाये हुए
कितनों
के दिल के दीपक बुझाये हुए
कितनों
ने प्यार में गम कमाये हुए
जाने
क्यों लगता है छल हमीं से हुआ
क्या
हमीं प्यार में हैं सताये
हुए
हम
बुलाकर के दिल से भगाये गये
या यूँ प्यार में आजमाये गये
ये
बहुत ही बुरा दिल से है खेलना
ऐसे
मासूम दिल क्यों जलाये गये
पवन
तिवारी
३/१०/२०२१
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