यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 जून 2022

दर्द सीने में हैं

दर्द   सीने   में   हैं   हम   दबाये  हुए

कुछ  जलाये  हुये   कुछ   बुझाये  हुए

चल दिये हँस के हम से दगा करके वो

फिर भी क्यूँ जाने दिल में समाये हुए

 

कितनों के दिल के  दीपक बुझाये हुए

कितनों  ने  प्यार में  गम कमाये हुए

जाने क्यों लगता है छल हमीं से हुआ

क्या  हमीं  प्यार में  हैं  सताये   हुए

 

हम बुलाकर के दिल से भगाये गये

या  यूँ   प्यार  में   आजमाये  गये

ये बहुत ही बुरा दिल से है खेलना

ऐसे  मासूम दिल  क्यों जलाये गये

 

पवन तिवारी

३/१०/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें