कितने
जन्मों से थे प्यार हारे हुए
प्यार
तुमसे हुआ तो तुम्हारे हुए
अब
जो खिलने लगे ख़ुशबू आने लगी
लग
रहा है कि अब हम हमारे हुए
पहले
तुम थे धरा हम भी तारे हुए
एक
ही सरिता के दो किनारे हुए
कितनी
ऋतुओं बरस तक यही सत्य था
अब
लगा जैसे मोहन सहारे हुए
तुम
भी मारे हुए हम भी मरे हुए
तुम
भी गारे हुए हम भी गारे हुए
भाग्य
भी होता है अब भरोसा हुआ
दोनों
इक छतरी में जल को धारे हुए
एक
दूजे पे हम वारे - न्यारे हुए
खुरदुरे
थे जी अब प्यारे – प्यारे हुए
अब
तो दीवानगी शब्द छोटा लगे
दोनों
ही दोनों को हैं दुलारे लगे
अपने
संवाद अब प्रेम नारे हुए
प्रेमियों
के लिए हम सितारे हुए
जन्मों
की साधना सिद्ध सी हो गयी
हम
पवन से हुए सबके सारे हुए
पवन
तिवारी
२९/०३/२०२१
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