कहा
है दिल नहीं जज्बात नहीं
सामने
कहने की औकात नहीं
जात
होती है बस गरीबों की
होती
पैसे की कोई जात नहीं
सूर्य
भी शाम तलक ही रहता
कौन
कहता कि उसकी रात नहीं
फ़ालतू
करता नहीं काम की केवल करता
कौन
कहता है करता बात नहीं
जो
भी करना है सीधे करता हूँ
इधर
– उधर की खुराफ़ात नहीं
प्यार
करने में यकीं है मुझको
मगर
करने में तमाशत नहीं
मुझको
उपहार में फ़क़त सच दे
इससे
बढ़कर कोई सौगात नहीं
पवन
तिवारी
२९/०३/२०२१
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