यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

कहा है दिल नहीं

कहा है दिल नहीं जज्बात नहीं

सामने कहने की औकात नहीं

 

जात होती है बस गरीबों की

होती पैसे की कोई जात नहीं

 

सूर्य भी शाम तलक ही रहता

कौन कहता कि उसकी रात नहीं

 

फ़ालतू करता नहीं काम की केवल करता

कौन कहता है करता बात नहीं

 

जो भी करना है सीधे करता हूँ

इधर – उधर की खुराफ़ात नहीं

 

प्यार करने में यकीं है मुझको

मगर करने में तमाशत नहीं

 

मुझको उपहार में फ़क़त सच दे

इससे बढ़कर कोई सौगात नहीं

 

पवन तिवारी

२९/०३/२०२१

 

 

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