यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

हे वज्रकाय प्रभु करुणा सागर

हे वज्रकाय प्रभु करुणा सागर

भर देते हो मन की गागर

प्रति विपदा का करें निवारण

कान्चनाभ हो नेह के सागर

 

हे सुरार्चित मंगल कारक

पीड़ा के भंजक हित कारक

दैविक,दैहिक या भौतिक हो

सबके हो प्रभु आप निवारक

 

दुर्लभ को तुम सुलभ कराते

उजड़े को श्रीमंत कराते

धीर शूर करुणाकर सुचये

कलयुग को भी नाच नचाते

 

वागधीश प्रभु शरण तुम्हारे

तुम निर्धन के पालन हारे

वाग्मिने महिमा अति न्यारी

शरण गहो प्राज्ञाय हमारे

 

 

पवन तिवारी

३०/०३/२०२१,   

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