देखूँ
उसको वो जब भी रोता है
जैसे
कोई
गुनाह
होता है
जब
भी जगने की बात करता हूँ
लगता
सारा
जहान सोता है
काँटों
के शहर में आया जब से
दिल
मेरा फूल - फूल बोता है
हाथ
थामा है झूठ का जब से
थोड़ा
विश्वास रोज खोता है
उसका
क़द रोज थोड़ा बढ़ता है
जब
से गुरबों का बोझ ढोता है
एक ही
सच को रोज कहता है
झूठे
कहते कि ‘पवन’ तोता है
पवन
तिवारी
संवाद-
७७१८०८०९७८
१८/०२/२०२१
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