यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 10 जनवरी 2022

देखूँ उसको वो जब भी रोता है

देखूँ उसको वो जब भी रोता है

जैसे   कोई   गुनाह   होता  है

 

जब भी जगने की बात करता हूँ

लगता  सारा  जहान  सोता  है

 

काँटों के शहर में आया जब से

दिल मेरा फूल - फूल बोता है

 

हाथ थामा है झूठ का जब से

थोड़ा विश्वास रोज खोता है

 

उसका क़द रोज थोड़ा बढ़ता है

जब से गुरबों का बोझ ढोता है

 

एक ही सच को रोज कहता है

झूठे कहते  कि ‘पवन’ तोता है

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

१८/०२/२०२१

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