ख़्वाब
को सच ही कर नहीं पाया
वफ़ायें
की
वफ़ा नहीं पाया
प्यार
सब पर सदा लुटाता रहा
कह
नहीं सकता क्या नहीं पाया
झूठ
को सच मैं कह
नहीं पाया
सच
के बिन भी मैं रह नहीं पाया
इसका
परिणाम कुछ मिला यूं कि
अपनों
का साथ भी
नहीं पाया
सच के द्वारे कोई नहीं आया
सब
नहीं वो भी तो नहीं आया
सच
की वो पैरोकारी करता था
बुलाया
सच में तो नहीं आया
क्या
हुआ जो कोई नहीं आया
कल्कि
सतयुग में तो नहीं आया
झूठ
का दौर शिकायत कैसी
रहो
खुश झूठ तो नहीं आया
पवन
तिवारी
संवाद
– ७७१८१८१९७८
२०/०२/२०२१
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