तुम्हें चाहने वाले भी
सरकार मिलेंगे
उनमें से कुछ एक
दिनी अखबार मिलेंगे
स्वारथ वाली नज़रों
को पहचान सको तो
हो विलम्ब पर तुमको
सच्चे प्यार मिलेंगे
संबंधों में छलने
वाले लोग मिलेंगे
अपनों में भी जलने
वाले लोग मिलेंगे
होकर सजग जियेंगे तो
जीवन होगा
वरना खुद को दलने
वाले लोग मिलेंगे
हँसते नकली चेहरे
तुमको रोज मिलेंगे
हिय से बुझे मगर
बाहर से ओज मिलेंगे
बिना निमंत्रण द्वार
किसी के मत जाना
वरना तुमको रोगी
वाले भोज मिलेंगे
जीवन में कुछ काँटे
तो कुछ हार मिलेंगे
दुश्मन ज्यादा कहीं-कहीं
पर यार मिलेंगे
कुछ विनम्र कुछ संयत
होकर तुम चलना
अनजानों से सबसे
अधिक दुलार मिलेंगे
जीवन है जी
चक्रव्यूह के जाल मिलेंगे
अपने आस-पास ही तुमको
काल मिलेंगे
जीवन मिलना दुर्लभ
जीना और कठिन है
खिले हुए कम अधिक बिदकते
गाल मिलेंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
०९/०८/२०२०
बहुत सुंदर रचना आदरणीय बहुत-बहुत शुभकामनाएं
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