ऊपर एक रिश्ता सबसे
है
होश संभाला ये तब से
है
इसी से सब कुछ साझा
करता
मित्र का क़द ऊँचा नभ
से है
हमको भी कुछ मित्र
मिले हैं
जिनसे उर उपवन के
खिले हैं
जो अपनों से बढ़कर
अपने
माना कि कभी हुए
गिले हैं
जब कभी संकट में
फँसता हूँ
खुद को तनाव में
डंसता हूँ
जादू करने दोस्त
आते हैं
करते हैं और मैं हंसता हूँ
ये रिश्ता है निज का
कमाया
अपने व्यवहारों से
बनाया
सोचो जग में मित्र न
होते
क्या-क्या होता
हमनें गँवाया
प्रभु सुंदर रिश्ते
ले आये
एक अनोखा
मित्र बनाए
धन्यवाद ईश्वर को भी
है जो
इक रिश्ता ऐसा भी
लाये
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
poetpawan50@gmail.com
०८/०८/२०२०
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