प्यार में होके भी
ना बह सके
ये कह सके ना वो कह
सके
बहुत ही खटकती थी ये
दूरियाँ
न ये रह सके न ही वो
रह सके
बहुत कुछ था कहना
बहुत कुछ था सुनना
ऐसे में भी तय हुआ
चुप रहना
गज़ब धीर इनका व शैली
अनोखी
कि चेहरे की भाषा
में आँखों से कहना
जब देखो तब आगे-पीछे
ही चलना
देखें तो बस दूर से
हाथ मलना
मिलने से कोई मनाही
नहीं थी
मगर दोनों ने ठाना
था फ़कत यूं ही जलना
फिर कहा एक दिन
दोनों ने हमें कुछ है कहना
हमें एक दूजे के है
साथ रहना
फिर राम मंदिर में
शादी रचाई
कुछ यूँ सजा इनके
जीवन का गहना
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
१/०८/२०२०
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