यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 जून 2021

खुशियों सा झूलता

खुशियों सा झूलता तुमको सावन मिले

दीप जलता हुआ तुमको पावन मिले

तुम मेरी ना हुई भाग्य का खेल था

तुमको साथी सुघड़ मन भावन मिले

 

मेरे हिस्से में थोड़ी कहानी मिले

ज़िन्दगी में ज़रा सी रवानी मिले

ये सभी चाहतें तुमसे पूरी हुई

तुमको सबसे हँसी जिंदगानी मिले

 

प्रेम जल भी मेरे हिस्से में आया है

नाम मेरा तेरे किस्से में आया है

इससे ज्यादा जो चाहूँ तो अच्छा नहीं

प्रेम आया भले बिस्से में आया है  

 

सिर्फ लेना नहीं  देना भी प्रेम है

तेरा खुश होना मेरे  लिए क्षेम है

कोई कुछ भी कहे हमको मालूम है

प्रेम पावन  परम  शुद्धता  हेम है  

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८  

१८/०७/२०२०

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